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शुक्राचार्य का धुम्रतप खंडित करने के लिए देवताओं ने क्या षडियंत्र रचा | Episode 269 | OmNamahShivay

بواسطة Om Namah Shivay
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تم نشره في 2021/01/27

शुक्राचार्य का धुम्रतप खंडित करने के लिए देवताओं ने क्या षडियंत्र रचा | Episode 269 | #OmNamahShivay 90369_TrLive Mail ID:- info@vianetmedia.com नमः शिवाय का अर्थ "भगवान शिव को नमस्कार" या "उस मंगलकारी को प्रणाम!" है। सिद्ध शैव और शैव सिद्धांत परंपरा जो शैव संप्रदाय का हिस्सा है, उनमें नमः शिवाय को भगवान शिव के पंच तत्त्व बोध , उनकी पाँच तत्वों पर सार्वभौमिक एकता को दर्शाता मानते हैं, "न" ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है "मः" ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है "शि" ध्वनि आग का प्रतिनिधित्व करता है "वा" ध्वनि प्राणिक हवा का प्रतिनिधित्व करता है "य" ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है इसका कुल अर्थ है कि "सार्वभौमिक चेतना एक है" शैव सिद्धांत परंपरा में यह पाँच अक्षर इन निम्नलिखित का भी प्रतिनिधित्व करते हैं : "न" ईश्वर की गुप्त रखने की शक्ति (तिरोधान शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है "मः" दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है "शि" शिव का प्रतिनिधित्व करता है "वा" उसका खुलासा करने वाली शक्ति (अनुग्रह शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है "य" आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है यह मंत्र "न", "मः", "शि", "वा" और "य" के रूप में श्री रुद्रम् चमकम्, जो कृष्ण यजुर्वेद का हिस्सा है, उसमे प्रकट हुआ है। यह मंत्र रुद्राष्टाध्यायी जो शुक्ल यजुर्वेद का हिस्सा है उसमे भी प्रकट हुआ है. पूरा श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र इस मंत्र के अर्थ हेतु समर्पित है । तिरुमंतिरम, तमिल भाषा में लिखित शास्त्र, इस मंत्र का अर्थ बताता है । शिव पुराण के विद्येश्वर संहिता के अध्याय 1.2.10 और वायवीय संहिता के अध्याय 13 में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र लिखा हुआ है तमिल शैव शास्त्र, तिरुवाकाकम, "न", "मः", "शि", "वा" और "य" अक्षरों से शुरू हुआ है महामृत्युञ्जय मंत्र श्री रुद्रम् चमकम् शिव विभूति यजुर्वेद रुद्राष्टाध्यायी

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