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वेस्ट डीकम्पोजर क्या हैं वेस्ट डीकम्पोजर का उपयोग कैसे करें। भाग नंबर 1

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تم نشره في 2020/04/24

किसान साथियों नमस्कार किसान साथियों आज इस वीडियो में हम वेस्ट डीकम्पोजर जो राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र गाजियाबाद के द्वारा माननीय निदेशक डॉक्टर कृष्ण कुमार चन्द्रा जी के दिशानिर्देश में बनाया गया है उसके पांच बिन्दु पर प्रकाश डालेंगे। 1. वेस्ट डीकम्पोजर क्या है? वेस्ट डीकम्पोजर राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र गाजियाबाद के निदेशक महोदय डॉक्टर श्री कृष्ण कुमार चन्द्रा जी के दिशानिर्देश में बनाया गया है। इसमें देशी गाय के गोबर से निकाले हुए कुछ वैक्टीरिया हैं। जिस पर हम विस्तार से आगे बात करेंगे एक वीडियो के माध्यम से। 2. वेस्ट डीकम्पोजर कैसे बनाएं? वेस्ट डीकम्पोजर बनाने की बिल्कुल आसान वीधि हैं। 200 लीटर पानी, एक किलो गुड़ और एक वेस्ट डीकम्पोजर की बोतल डालनी हैं। बोतल नहीं हैं तो बोतल से बने कुछ घोल का उपयोग कर सकते हैं एक लीटर या दो लीटर। ये दही की तरह काम करता है। वेस्ट डीकम्पोजर हम गुड़, गन्ने के रस, केले से इत्यादि से भी तैयार कर सकते हैं। पर सबसे अच्छा जो बताया गया हैं वो गुड़ बताया गया हैं और वो भी कैमीकल्स रहित होना चाहिए। काफी किसान साथी कहते हैं कि क्या हम वेस्ट डीकम्पोजर चीनी, खाण्ड या शंकर से भी बना सकते हैं नहीं बना सकते क्योंकि इनमें कैमीकल्स होता हैं। मिठा ही इस वेस्ट डीकम्पोजर के वैक्टीरिया का भोजन हैं। 3 वेस्ट डीकम्पोजर किस पात्र में बनाएं? माननीय निदेशक महोदय के द्वारा बताया गया हैं की वेस्ट डीकम्पोजर बनाने के लिए प्लास्टिक के पात्र का ही उपयोग सबसे उपयोगी हैं। मिट्टी में गढ्ढा खोदकर उसमें प्लास्टिक डाल कर भी वेस्ट डीकम्पोजर तैयार कर सकते हैं। काफी किसान वेस्ट डीकम्पोजर बनाने के लिए सिमेंट के टंक का भी उपयोग कर रहे हैं। पर उसमें बनाने से पहले टंक में प्लास्टिक पेन्ट अवश्य करा लेवें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो वेस्ट डीकम्पोजर प्लास्टिक के टंक को खत्म कर देगा। काफी किसान कहते हैं कि क्या हम वेस्ट डीकम्पोजर ताबा, सिल्वर या एल्युमिनियम के पात्र में बना सकते हैं बिल्कुल भी नहीं बनाना हैं। इस पर भी एक वीडियो हम विस्तार से बनाएंगे आगे। 4. वेस्ट डीकम्पोजर तैयार होने की पहचान क्या है? ये सवाल काफी किसान साथियों का होता हैं। जब आप वेस्ट डीकम्पोजर बनाने के लिए छोड़े तो उस पात्र में 12 या 24 घण्टे के बाद झाग बने ऐसा झाग जिस प्रकार कपडे़ धोते वक्त सर्फ का बनता हैं और कान लगाने पर उसमें एक विशेष प्रकार की झनझनाहट सुनाई देवें जैसे की कोल्ड ड्रिंक को गिलास में डालने पर होती हैं तो वो सही की निशानी हैं। दूसरा बनने के बाद उसमें एक खट्टी खट्टी मीठी सी सुगंध आए तो वो सही तैयार हुआ है या उस घोल का रंग मिट्टी जैसा, हल्का क्रीम जैसा, चासनी जैसा या बरसात पानी जैसा हो तो वो बिल्कुल सही हैं। अगर इनमें से कोई भी ना आए तो सही नहीं है। 5. वेस्ट डीकम्पोजर कैसा हो? किसान साथियों ये सबसे महत्वपूर्ण सवाल हैं कि वेस्ट डीकम्पोजर कैसा उपयोग करना चाहिए। सही वेस्ट डीकम्पोजर तो राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र गाजियाबाद में माननीय डॉक्टर श्री कृष्ण कुमार चन्द्रा जी के दिशानिर्देश में बनाया गया वो हैं। भारत सरकार ने कुछ कम्पनियों को वेस्ट डीकम्पोजर बना कर किसानों को देने का अधिकार दिया पर इन कम्पनियों ने सही वेस्ट डीकम्पोजर किसानों को नहीं दिया। इन कम्पनियों का वेस्ट डीकम्पोजर या तो बन नहीं रहा या बन रहा है वो मल्टीपलाई नहीं हो रहा है अगर हो भी रहा हैं तो दो या तीन बार से ज्यादा नहीं हो रहा और किसान खेत में उपयोग कर रहे हैं तो उसका कोई भी परिणाम नहीं मिल रहा हैं। इस बारे एक कृषि वैज्ञानिक ने साबित भी कर दिया कि कम्पनियों के वेस्ट डीकम्पोजर में वहीं वैक्टीरिया हैं जो हमेशा गुड़ में होता हैं और राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र में वो सभी हैं जो माननीय डॉक्टर कृष्ण कुमार चन्द्रा जी ने बताया है। मैं किसान साथियों से निवेदन करना चाहुंगा कि अगर आपके पास राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र गाजियाबाद की बोतल नहीं हैं तो आप इसका जो भी आपके नजदीक उपयोग करता हैं उससे कुछ घोल ले सकते हैं पर इन कम्पनियों का बिल्कुल भी उपयोग ना करें अगर वेस्ट डीकम्पोजर का कोई रिजल्ट आपको चाहिए तो। किसान साथियों मेरा जैसा अनुभव था वो मैने बताने की कोशिश की हैं फिर भी अगर कोई गलती रही हैं तो माफ करना। ये वीडियो कैसा लगा जरूर बताने का कष्ट किजिए। इन पांच बिन्दुओं पर भी आपका कोई सवाल हो तो जरूर शेयर करने का कष्ट करें ताकि मैं आपको बता पाऊं। अगर वीडियो अच्छा लगें तो जरूर शेयर व लाईक करें। ताकि नए किसान साथियों को इसका फायदा मिल सके। अमित महला भिवानी, हरियाणा 9991477775 7027279798

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