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Bareilly ka Manjha | Secrets Revealed

بواسطة Prabhat Singh
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تم نشره في 2021/07/25

बरेली का मांझा | मांझे की कहानी बरेली को जितनी शोहरत झुमके वाले गाने और सुरमे की बदौलत मिली, पतंगबाज़ी के शौक़ीनों के बीच बरेली का मांझा भी उतना ही पहचाना-सराहा जाता है. और जब बरेली के मांझे का ज़िक्र आता है तो रफ़्फ़न उस्ताद का नाम बड़े अदब से लिया जाता है. वह मांझा बनाने वाले हुनरमंदों की चौथी पीढ़ी से हैं. दूर-दूर के पतंगबाज़ उनके हाथों बनी डोर पर आँख मूंदकर भरोसा करते आए हैं. ख़ूब नाम और शोहरत के बावजूद उस्ताद रफ़्फ़न इस बात के क़ायल हैं कि जो भी मन लगाकर मेहनत से काम करता है, उसके हाथों में और उसके हाथों से बनी डोर में ख़ूबी ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाती है. वह इस बात के भी क़ायल हैं कि अच्छा और बेहतरीन मांझा बनाने की होड़ बेशक होनी चाहिए मगर इज़्ज़त के साथ. कुछ उम्र और कुछ बीमारी के चलते कितना कुछ भूल गए हैं. और जो याद कर सके, प्रभात से बातचीत में साथ साझा किया. ________________________________________________________________ Are you following me on facebook https://www.facebook.com/explorewithprabhat/ & on instagram https://www.instagram.com/prabhat_photography/ You may reach to my photography http://prabhatphotos.com & text stories https://samvadnews.in ____________________________________________________________________

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